कोलकाता के ऐतिहासिक न्यू मार्केट की सड़कों पर हॉकरों का अवैध कब्जा, खरीदारों से होती है मारपीट गाली-गलौज

बड़े आंदोलन की तैयारी में ट्रेडर्स एसोसिएशन

कोलकाता, 18 नवंबर। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के ऐतिहासिक न्यू मार्केट की करीब एक जोड़ी सड़कों पर हॉकर्स के अवैध कब्जे को लेकर पुलिस प्रशासन और नगर निगम की अनदेखी के खिलाफ अब स्थानीय कारोबारी बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। एसएस हॉग मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने शुक्रवार को हिन्दुस्थान समाचार को इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि यह मार्केट भारत के ऐतिहासिक और वास्तविक शॉपिंग मॉल्स में से एक है। यहां पांच हजार दुकानें हैं जिनमें कम से कम एक लाख परिवारों का भरण पोषण होता है। चिंता वाली बात यह है कि यहां दशकों से मार्केट के एंट्री और एग्जिट गेट के साथ-साथ राज्य सरकार की ओर से एलॉटेड पार्किंग एरिया को भी हॉकस में अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है। खास बात यह है कि इन हॉकर्स की वजह से नगर निगम और यहां आसपास की सभी सड़कें 90 फ़ीसदी कब्जा कर ली गई हैं जिसकी वजह से यहां गाड़ियों की आवाजाही और पार्किंग दुभर है।
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बड़े पैमाने पर आग लगने का है खतरा
– गुप्ता ने बताया कि अमूमन हॉकर उन्हें कहते हैं जो अपना सामान किसी टोकरी में लेकर जाते हैं, किसी खाली जगह पर बैठ कर बेचते हैं और शाम ढलने के बाद सामान सहित वापस अपने घर लौट जाते हैं। लेकिन यहां जिन्हें हॉकर कहा जा रहा वे फर्जी हॉकर्स हैं जिन्होंने फुटपाथों और सड़कों ‌पर अवैध कब्जा किया है। यहां स्थाई तौर पर उनकी दुकानें भी रहती हैं जो सामान दिन को बेचते हैं और रात को उसे प्लास्टिक से लपेटकर वहीं बांधकर घर चले जाते हैं।
खास बात यह है कि इसमें बड़े पैमाने पर अपराधिक खेल भी होता है। फुटपाथ की जमीन की खरीद बिक्री और इसके एवज में बड़ी राशि की वसूली होती रही है। अवैध कारोबार में प्रशासन से लेकर स्थानीय नेतृत्व तक शामिल है।
उन्होंने कहा कि जैसे बागड़ी मार्केट में छोटी सी चिंगारी से इतनी बड़ी आग लग गई थी और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था, ठीक उसी तरह से न्यू मार्केट में जिस तरह से कब्जा है और प्लास्टिक से घेरा गया है उसमें अगर छोटी सी चिंगारी कभी लग गई तो अरबों रुपये का नुकसान होगा। बार-बार आवेदन के बावजूद प्रशासन इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रहा इसीलिए जल्द ही इस अवैध कब्जे के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसके पहले भी 2015 में सांकेतिक आंदोलन हुए थे जिसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फुटपाथों को मुक्त करने और हॉकर्स के सर्वे की घोषणा की थी। लेकिन वह केवल घोषणा तक सीमित रह गया और कोई कदम नहीं उठाया गया।
अशोक ने बताया है कि मार्केट के एंट्री और एग्जिट गेट पर अवैध कब्जे की वजह से खरीदार बाजार के अंदर आ नहीं पाते हैं जिसकी वजह से पांच हजार से अधिक कारोबारी खून के आंसू रो रहे हैं। उन्होंने कहा कि बार-बार आवेदन के बावजूद प्रशासन की हमारी तरफ से अनदेखी निराशाजनक है और अब हमारे पास आंदोलन के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है।
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ग्राहकों के साथ होता है आशालीन और अभद्र व्यवहार
– दरअसल धर्मतल्ला के फुटपाथ पर न्यू मार्केट तक फुटपाथ से लेकर सड़कों के बड़े हिस्से को न केवल अवैध तरीके से कब्जा किया गया है, बल्कि वह सुरक्षा के लिए भी खतरे हैं। एसएस हॉग मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव अशरफ अली ने बताया कि यहां खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहकों के साथ मारपीट भी रोज होती है। यहां अवैध तरीके से कब्जा कर दुकान लगाने वाले अधिकतर ऐसे लोग हैं जिनसे सामान का दाम पूछने के बाद अगर खरीदारी नहीं की जाती है तो गाली गलौज पर उतर आते हैं और ग्राहकों से मारपीट, हाथापाई और अभद्र बर्ताव रोज की बात है। कई बार इस मामले में न्यू मार्केट में शिकायतें भी दर्ज हुई हैं लेकिन यहां अवैध कब्जा के साथ गुंडागर्दी थमती नहीं है। एक बार यहां एक महिला को एक दुकानदार ने थप्पड़ जड़ दिया था जो मामला काफी सुर्खियों में भी आया था। यहां आने जाने वाले पत्रकारों से भी कई बार हाथापाई हो चुकी है।
कुल मिलाकर कहें तो देश के औपनिवेशिक शहरों में से एक कोलकाता की खूबसूरती पर बट्टा बन चुके इन हॉकर्स का अवैध कब्जा कारोबारियों के लिए व्यापार के खात्मे का सबब बन गया है।
अमूमन राज्य के औद्योगिक और आर्थिक विकास की बात करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संबंधित अधिकारियों की इस पर चुप्पी भी सवालों के घेरे में हैं। 2010 के बाद यहां हॉकर्स की संख्या और अधिक बढ़ी है तथा प्रशासन समस्याओं के समाधान को लेकर और अधिक निष्क्रिय हुआ है।
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विरासती नियमों की भी उड़ रही धज्जियां
– ट्रेडर्स एसोसिएशन के साथ सहमति जताते हुए मशहूर पर्यावरणविद सुभाष दत्ता ने बताया कि सर स्टुअर्ट हॉग मार्केट एक विरासती बाजार है जहां अवैध कब्जा सरेआम विरासती नियमों की अवहेलना है। उन्होंने बताया कि इस संरचना के आसपास पूरी तरह से गाड़ियों की आवाजाही और फुटपाथों को कब्जा मुक्त रखने की जिम्मेदारी सरकार की है लेकिन निराशाजनक रूप से इसे प्रशासन के द्वारा ही बढ़ावा दिया जा रहा। दत्ता ने बताया कि मार्केट के आसपास की जमीन सरकारी है और पार्किंग आदि के लिए नगर निगम की देखरेख में है। लेकिन यहां अवैध दुकान लगाने के लिए जमीन की बिक्री भी होती है। यहां तक कि कोर्ट के स्टांप पेपर पर रुपये के लेनदेन और खरीद बिक्री की जानकारी लिखी जाती है जो संवैधानिक नियमों की धज्जियां उड़ाने जैसा है। उन्होंने बताया कि प्रशासन के नौकरशाह से लेकर सत्ता के शीर्ष पर बैठे सारे लोग यह सब कुछ जानते हैं। कारोबारी रोज रो रहे हैं। न केवल राज्य के दूसरे हिस्से बल्कि देश दुनिया से आने वाले लोगों के साथ जो मारपीट का बर्ताव होता है वह बंगाल को बदनाम करने वाला है।

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