भारतीय दर्शन में मातृभूमि, मां और मातृभाषा पूजनीय : अकील अहमद

कोलकाता में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव शुरू

कोलकाता, 04 नवंबर (हि.स.)। महानगर कोलकाता में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव 2022 की शुरुआत शुक्रवार शाम हो गई है। सिस्टर निवेदिता यूनिवर्सिटी और संडे टाइम्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस महोत्सव को संबोधित करते हुए विशेष अतिथि और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ राष्ट्रीय उर्दू विकास परिषद के निदेशक डॉ. अकील अहमद ने कहा कि भारतीय दर्शन में मातृभूमि, मां और मातृभाषा को पूजनीय बताया गया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस तरह के प्रावधान रखे गए हैं कि प्राथमिक से माध्यमिक स्तर और स्नातक से स्नातकोत्तर तक के छात्र अपनी पसंदीदा मातृभाषा में पठन पाठन कर सकेंगे। इससे भारत की पारंपरिक आदि भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा।

हमारे प्रतिनिधि से मुखातिब अकील अहमद

उन्होंने कहा कि भाषा को किसी इंसान ने नहीं बनाया बल्कि विधाता ने खुद रचा है। चाहे संस्कृत हो या हिंदी या उर्दू, यह संवाद की भाषा तो है ही साथ ही विधाता ने मानव प्रजाति को एक-दूसरे से जोड़ने का जरिया भी बनाया है।

खासतौर पर उर्दू की खूबियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह ऐसी भाषा है जिसमें दुनिया की सभी भाषाओं की शब्दावली मिलती है। इसलिए आज उर्दू वैश्विक भाषा के तौर पर प्रतिष्ठित है। इतना ही नहीं उर्दू के गालिब सरीखे ग़ज़लकारों अथवा साहित्यकारों को शेक्सपियर सरीखे विश्व स्तरीय कवियों और रचनाकारों की श्रेणी में रखा जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार की ओर से पश्चिम बंगाल में उर्दू की स्थिति पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यहां स्कूलों में उर्दू में पढ़ाई तो होती है और उर्दू विकास परिषद भी है लेकिन जिस बड़े पैमाने पर इसका प्रचार- प्रसार होना चाहिए वैसा नहीं हो पाया है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में लोगों के बीच यह भ्रांति बन गई है कि वे अगर अपने बच्चों को वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाना चाहते हैं तो उन्हें अंग्रेजी में शिक्षा देने की जरूरत पड़ेगी, लेकिन यह सही नहीं है। हिंदी, उर्दू या किसी भी भारतीय भाषा में शिक्षित हुआ कोई भी व्यक्ति विश्व स्तर पर अपनी दक्षता को साबित कर सकता है। यही भारतीय दर्शन रहा है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ विष्णु पांड्या भी आमंत्रित थे। इसके अलावा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ एनआईओएस के अध्यक्ष प्रोफेसर सरोज शर्मा, सिस्टर निवेदिता यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर ध्रुव ज्योति चटर्जी और पश्चिम बंग कविता अकादमी के सभापति कवि और प्रोफेसर सुबोध सरकार ने भी कार्यक्रम में शिरकत कर संबोधन किया।

इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव की शुरुआत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के चित्रांगदा नाटक से हुई, जिसकी प्रस्तुति संकेत ग्रुप ने की है। कार्यक्रम में साहित्यकार शीर्षेंदु मुखर्जी, डॉक्टर कृष्णा बसु और श्यामल कांति दास को संडे टाइम्स कोलकाता लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड-2022 से सम्मानित किया गया। इसके अलावा समरजीत चक्रवर्ती, संमत्रनंद (शोवन रॉय), डॉ बासबी चक्रवर्ती, विनायक बनर्जी और प्रोफेसर श्रीपति टूडू को संडे टाइम्स कोलकाता लिटरेरी अवॉर्ड-2022 दिया गया। सोविक बनर्जी, अमी गोस्वामी, कुमारी कस्तूरी सेन, मुनमुन मुखर्जी और गुलाम रसूल को संडे टाइम्स कोलकाता राजा राम मोहन रॉय अवॉर्ड-2022 से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में मीडिया मैनेजमेंट काफी लचर था और अतिथियों तथा कार्यक्रम के बेहतर प्रबंधन की व्यवस्थाएं काफी ढुलमुल रहीं। बावजूद इसके वक्ताओं ने साहित्य और इसके जरिए वैश्विक एकरूपता के महत्व पर सारगर्भित संबोधन किया है।

हिन्दुस्थान समाचार/भानुप्रिया

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