अर्पिता दासगुप्ता जी की इस लाजवाब पेंटिंग को निहारिये और फिर ये दोहा देखें —- दीवाली के रोज़ भी , आया नहीं सुहाग ! … अश्कों से ही रात भर ,जलते रहे चराग़ !! … विजेन्द्र आया नहीं सुहाग
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