कोलकाता, 20 अक्टूबर (हि.स.)। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जापान के रेंकोजी मंदिर में रखी अस्तियों को एक बार फिर जल्द से जल्द देश ले आने की मांग कोलकाता से उठी है। ओपन प्लेटफार्म फॉर नेताजी संस्था की ओर से इस मांग के समर्थन में रैली निकाली गई है। इसकी अध्यक्षता नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र बोस ने की है। संगठन की ओर से सौम्या शंकर बोस ने गुरुवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी जो अखंड भारत की पहली सरकार थी। दुनिया के कई देशों ने उसे अपना समर्थन भी दिया था। इसलिए 21 अक्टूबर को भारत का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि देश के सबसे बहादुर स्वतंत्रता सेनानी की अस्थियों को विदेश की धरती से भारत लाया जाए। उन्होंने कहा कि रेंकोजी मंदिर में आखिर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्तियां क्यों रहेंगी? आज जब देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है तब नेताजी की अस्तियों का रेंकोजी मंदिर में रखा होना स्वीकार्य नहीं है। उसे तत्काल स्वदेश ले आना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत सरकार अस्तियों को रखने के एवज में जापान सरकार को भुगतान भी करती है आखिर क्यों? इस मांग के साथ सुबह 11:00 बजे रैली हाजरा मोड़ से शुरू हुई थी जो नेताजी भवन जाकर खत्म हुई है। यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया गया। सौम्य शंकर बोस ने बताया कि सुभाष चंद्र बोस वास्तव में देश में अनेकता में एकता के सूत्रधार थे। हिन्दुस्थान समाचार
