राउंडअप :: बारिश से बेहाल है बंगाल, तीन लाख लोगों को पहुंचाया गया सुरक्षित ठिकानों पर, सेना उतरी
कोलकाता, 01 अक्टूबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत पूरा राज्य लगातार बारिश की वजह से बाढ़ से बेहाल है। राज्य के सात जिले बाढ़ की चपेट में हैं जिनमें हुगली, पूर्व और पश्चिम बर्दवान, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर तथा बांकुड़ा सबसे अधिक प्रभावित है। हावड़ा जिले के भी कुछ हिस्से में भारी बारिश और नदी का पानी घुसने की वजह से लोग घरों में कैद हो गए हैं। राहत और बचाव के लिए राज्य सरकार के अनुरोध पर सेना उतर चुकी है। पूर्वी सेना कमान के मुख्य प्रवक्ता मनदीप सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को बताया कि सेना की सात टुकड़ियों को राहत और बचाव के लिए बर्दवान, हुगली और मेदनीपुर में लगाए गए हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की 28 टुकड़ियां पहले से ही राज्य में राहत और बचाव के लिए काम कर रही हैं। राज्य आपदा प्रबंधन की टीम भी जिला प्रशासन के साथ मिलकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में लगी है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक करीब तान लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
पिछले एक महीने से किसी ना किसी वजह से बंगाल में लगातार हो रही भारी बारिश की वजह से बनी बाढ़ की स्थिति के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को झारखंड और दामोदर घाटी निगम को जिम्मेवार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि बिना बताए डीवीसी से पानी छोड़ा गया है जिसकी वजह से बंगाल में बाढ़ आई है।
उनके इस दावे पर भारतीय जनता पार्टी ने सवाल खड़ा किया है। वरिष्ठ भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पूछा है कि अगर डीवीसी का पानी छोड़ने की वजह से राज्य के दक्षिणी हिस्सों में बाढ़ आई है तो राजधानी कोलकाता किस नदी के पानी की वजह से बाढ़ में डूबा है, ममता बनर्जी को इस बारे में बताना चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी ममता के दावे पर सवाल खड़ा किया है और कहा है कि डीवीसी जब भी पानी छोड़ता है तो राज्य सरकार को सूचना देकर ही छोड़ता है। बाढ़ से बचाव में विफल रहने की वजह से ममता बनर्जी झूठा बहाना बना रही हैं।
इधर मौसम विभाग ने बताया है कि पिछले तीन दिनों में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 87 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है जो काफी है। राजधानी कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना में 35 हजार लोगों को बाढ़ से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। राज्य सरकार ने विभिन्न हिस्से में एक हजार से अधिक राहत शिविर बनाए हैं जहां लोगों को पहुंचा कर उनके रहने, खाने और चिकित्सा आदि की व्यवस्था की गई है।