कोलकाता- जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं, वह हृदय नहीं है पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
15 अगस्त की तैयारियां शुरू हो गई हैं और पूरे देश में राष्ट्रवाद के गीत भी गाए जा रहे हैं। दिल में देशभक्ति की तरंगे हिलोर मार रही हैं क्योंकि लाखों शहीदों ने अपनी शहादत देकर हमें आजादी दिलाई थी। इनमें केवल वीर ही नहीं बल्कि वीरांगनाएं भी थीं जिन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे किए थे। ऐसी ही वीरांगना थी प्रीति लता वादेदार। अमर स्वतंत्रता सेनानी मास्टरदा सूर्य सेन की क्रांति संगिनी रही प्रीति लता ने न केवल चटगांव को आजाद कराने में सशस्त्र अंग्रेजी सेना से भीषण युद्ध लड़ा था बल्कि मास्टर दा के घिर जाने के बाद अपने दम पर अंग्रेजों के शस्त्रागार को जलाकर राख कर दिया था। यहां तक कि “कुत्तों और भारतीयों का प्रवेश वर्जित” संबंधी जो बोर्ड लगाए जाते थे उसे नेस्तनाबूद करने में प्रीति लता की भूमिका सबसे बड़ी थी।
सन 1932 में चटगांव के यूरोपियन क्लब पर हमले की जिम्मेदार यही लड़की थी। कभी टीवी तो कभी फिल्मों में जो क्लब के बाहर “डॉग्स एंड इंडियन्स नॉट अलाउड”(Dogs and Indians not allowed) वाला बोर्ड आपने देखा होगा वो बोर्ड इसी क्लब के बाहर लगा था। प्रीतिलता और उनके साथी क्रांतिकारियों ने इस क्लब को जला कर मिटा डाला।
क्रांतिकारी सूर्य सेन के साथ वो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुई थीं। क्रांतिकारियों के दस्ते के साथ मिलकर उन्होंने कई मोर्चो पर ब्रिटिश उपनिवेशवादियों से लोहा लिया। वो रिज़र्व पुलिस लाइन पर क्रांतिकारियों के कब्जे और टेलीफोन और टेलीग्राफ ऑफिस पर हुए आक्रमणों में भी शामिल थीं।