कोलकाता, 05 जुलाई (हि.स.)। हाल में भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में लौटे मुकुल रॉय को विधानसभा के प्रथम सत्र के पहले दिन ब्लॉक तीन में 42 नंबर सीट आवंटित की गई थी। उस दिन वे उसी सीट पर बैठे थे लेकिन सोमवार को उनकी सीट बदल दी गई। मुकुल भले अपनी पुरानी पार्टी में लौट आए हैं लेकिन कागजी तौर पर वे अभी भी भाजपा विधायक हैं और तृणमूल मुकुल को दलबदल विरोधी कानून से बचाने के लिए भाजपा विधायक के रूप में ही रखना चाहती है।
मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी मुकुल की पार्टी में वापसी के बावजूद उन्हें भाजपा विधायक’ बताया था। ऐसे में उनकी विधानसभा की सीट फिर से बदलना सत्ताधारी पार्टी की रणनीति बताई जा रही है। मुकुल अब भाजपा विधायक व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की बाएं तरफ की सीट पर बैठेंगे, जो ब्लॉक दो में सीट नंबर 15 है। मुकुल सोमवार को इसी सीट पर बैठे।
दरअसल मुकुल के पास इस सीट पर बैठने के अलावा दलबदल विरोधी कानून से बचने का कोई रास्ता नहीं है। इससे पहले मुकुल को विपक्ष की जो सीट दी गई थी, वह शुभेंदु की सीट से बहुत दूर थी। विधानसभा सूत्रों के मुताबिक मुकुल के लिए यह सीट सभी पहलुओं को देखते हुए चुनी गई है। तृणमूल के एक वर्ग का कहना है कि यह रणनीति शुभेंदु पर दबाव बनाने के लिए तैयार की गई है।
सुभेंदु के लिए आरक्षित सीट की बाईं ओर की सीट पर माकपा के सुजन चक्रवर्ती, अशोक भट्टाचार्य और अनिसुर रहमान बैठते थे। इस बार मुकुल रॉय वहीं बैठेंगे। मुकुल को हाल में विधानसभा की लोक लेखा समिति का सदस्य बनाया गया है। तृणमूल उन्हें इस समिति का अध्यक्ष बनाने की फिराक में है।
इधर तृणमूल में रहने के दौरान शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय के संबंध बेहद मधुर थे। दावा किया जा रहा है कि मुकुल के चरणों में लौटने के बाद बड़े पैमाने पर भाजपा में गए तृणमूल के नेताओं की वापसी तय है। उस सूची में शुभेंदु अधिकारी भी हैं। भले ही वह नेता प्रतिपक्ष हैं लेकिन किसी भी मौके पर तृणमूल कांग्रेस उन पर डोरे डालने से बाज नहीं आएगी। ऐसे में मुकुल रॉय की सीट शुभेंदु के करीब होने से भाजपा की चिंता कहीं ना कहीं बढ़ रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश