बंगाल में तृणमूल ने शुरू की जाति की राजनीतिक, भाजपा को बताया सवर्णों की पार्टी, दलितों को हत्या का डर दिखाया

 

 

कोलकाता, 26 जनवरी: पश्चिम बंगाल में आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले मुख्य विपक्षी पार्टी बन चुकी भाजपा से मिल रही चुनौती को देखते हुए सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अब जाति की राजनीति शुरू कर दी है। पार्टी के प्रवक्ता और मंत्री ब्रात्य बसु ने बांग्लादेश से आकर बसे शरणार्थी समुदाय “मतुआ” को दलित करार देते हुए कहा कि भाजपा दलितों की खूनी है। वे बंगाल में आकर नागरिकता देने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल में भाजपा की सरकार आई तो स्वर्ण जातियों के लिए अलग बर्तन और मतुआ समुदाय तथा अन्य दलितों के लिए अलग बर्तन देंगे।

 

उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के शासनकाल में बंगाल का सामाजिक और आर्थिक नवजागरण हुआ है। उत्तर प्रदेश और गुजरात पिछड़े हैं। बसु ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस हिंदी भाषियों के पक्ष में है लेकिन भयंकर भाजपा के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की ही जीत होगी और इसी जीत के साथ 2024 में भारतीय जनता पार्टी के पतन को सुनिश्चित किया जाएगा। आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्रीय नेता पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल उठाते हैं लेकिन फिलहाल बंगाल में कोविड-19 से रिकवरी रेट 100 फ़ीसदी है। हालांकि एक दिन पहले के राज्य स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन में रिकवरी रेट 97.63 फ़ीसदी है जो पिछले एक महीने से लगभग जस की तस है। उन्होंने कहा कि बंगाल में एक भी कोविड-19 मरीज नहीं है जबकि हकीकत यह है कि अभी भी 33 सौ से अधिक मरीज विभिन्न अस्पतालों में चिकित्साधिन है। मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर 48 फ़ीसदी है जबकि उत्तर प्रदेश में 43 फ़ीसदी और गुजरात में 28 फ़ीसदी। जबकि पश्चिम बंगाल में महज 22 फ़ीसदी हैं। इसी तरह से मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु दर 173 फ़ीसदी है, उत्तर प्रदेश में 197 फीसदी है जबकि बंगाल में महज 98 फ़ीसदी। इसी तरह से उन्होंने तमाम आंकड़ों का जिक्र कर दावा किया कि पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा और अन्य मामले में आगे हैं। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी को दलितों की हत्यारी पार्टी करार देते हुए बसु ने कहा कि अगर भाजपा की सरकार बनी तो दलितों को अलग-थलग कर दिया जाएगा।

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