कोलकाता, 26 फरवरी: टि्वटर, फेसबुक, व्हाट्सएप जैसे सोशल साइट्स समेत अमेजॉन और अन्य ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लगाम के लिए केंद्र ने जिस तरह का सख्त कानून बनाया है वह फर्जी खबरों और आपत्तिजनक सामग्रियों का फैलाव रोकने में काफी मददगार होंगे। साइबर विशेषज्ञों का दावा है कि केंद्र का यह फैसला देर से ही है लेकिन दुरुस्त है। साइबर एक्सपर्ट संदीप सेन गुप्ता ने शुक्रवार को “हिन्दुस्थान समाचार” से विशेष बातचीत में बताया कि हाल ही में व्हाट्सएप ने भारत के लिए अलग और यूरोपीय देशों के लिए अलग नीतियां बनाई थी। इसकी वजह थी कि यूरोपीय देशों ने अपने नागरिकों की डेटा सुरक्षा के लिए कानून बनाकर उसे लागू किया है जबकि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं था। इस वजह से सोशल मीडिया कंपनियां मनमाने तरीके से ऑपरेट कर रही थीं। उन्होंने बताया कि भारत में अभी भी नागरिकों के डाटा प्रोटेक्शन के लिए कोई कानून नहीं है लेकिन सोशल मीडिया साइट्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लगाम के लिए केंद्र ने जो नया कानून का प्रावधान किया है वह नागरिकों को थोड़ा बहुत राहत देने वाला होगा। संदीप ने बताया कि पहले छोटे-छोटे झगड़ों को दंगे बताकर फैला दिया जाते थे। पुराने वीडियो को नए बताकर नफरत फैलाने की कोशिश होती थी। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर समुदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने वाले कंटेंट बनाकर शेयर किए जाते थे लेकिन अब इन पर लगाम लग सकेगा। केंद्र ने जो नया प्रावधान लागू किया है उसमें इस तरह के कंटेंट साझा करने वाले पहले व्यक्ति के बारे में सोशल मीडिया कंपनियों को पूरा ट्रैक और रिकॉर्ड रखना पड़ेगा। किस आईपी एड्रेस से क्या शेयर किया गया, कितने लोगों ने शेयर किया आदि के बारे में सारी जानकारी कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों को देने के लिए सोशल मीडिया कंपनियां बाध्य होंगी। इससे फर्जी खबरें फैलाने वाले कानून की गिरफ्त में होंगे और इस तरह की फर्जी खबरों के फैलाव पर रोक लगेगी।