लोक डेस्क, कोलकाता, 22 जनवरी। ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल से वन मंत्री राजीव बनर्जी का नाता टूट जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उनके लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं। यह जानकारी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने दिया है। शुक्रवार को राजिव बनर्जी के इस्तीफा देने के बाद जब दिलीप घोष से राजीव के भाजपा में शामिल होने की संभावनाओं के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हम लोग उनके इंतजार में हैं।”
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने किसी के भी साथ न्याय नहीं किया है। जो भी उनका साथ दिया उन्हें अपमानित किया गया। राजीव बनर्जी की तरह पार्टी के और भी कई नेता हैं जो ममता बनर्जी का साथ छोड़ेंगे।
राजीव को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने के संबंध में उन्होंने कहा कि फिलहाल उन्होंने केवल मंत्री पद छोड़ा है लेकिन पार्टी के विधायक हैं, और अभी भी तृणमूल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता नहीं छोड़ी है। जब तक वह तृणमूल नहीं छोड़ते हैं तब तक हम लोग कुछ नहीं कर पाएंगे। लेकिन हम लोगों का इंतजार जरूर करेंगे।
राजीव को भाजपा में शामिल होने का आह्वान करते हुए दिलीप घोष ने कहा कि आइए हम लोग मिलकर नया बंगाल बनाएंगे। इसके लिए भाजपा का दामन थामिए।
—
बीएसएफ ने तृणमूल का भ्रष्टाचार रोका इसीलिए नाराजगी
– इसके अलावा राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी द्वारा बीएसएस पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को डरा कर भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए दबाव बनाने के आरोपों पर भी दिलीप घोष ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि पार्थ चटर्जी का काम है केवल झूठ बोलना है। उन्होंने कहा कि दिलीप घोष ने बांग्लादेश से सटे सीमाई इलाके में सख्ती बरत कर गाय और कोयले की तस्करी पर रोक लगाने में सफलता हासिल की है। इसकी वजह से तृणमूल कांग्रेस को नुकसान हुआ है। जितने भी कोयला और गाय के तस्कर हैं वे सब तृणमूल कांग्रेस के संरक्षण में रह रहे हैं। इसलिए बीएसएफ से पार्थ चटर्जी की नाराजगी है।
एक बार फिर घोष ने दोहराया कि मतदाता सूची में चार से पांच रोहिंग्या मुसलमानों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्या मुसलमानों को मतदाता सूची में तृणमूल कांग्रेस ने शामिल कराया है। हालांकि पार्थ चटर्जी ने दिलीप घोष के आरोपों पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि घोष दिशाहीन व्यक्ति हैं। वह जानते ही नहीं हैं कि मतदाता सूची संशोधन का काम तृणमूल कांग्रेस का नहीं बल्कि चुनाव आयोग का है। इस तरह का आरोप लगाकर वह लोकतांत्रिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को खत्म कर रहे हैं।