लोक डेस्क, कोलकाता, 18 जनवरी। 2007 में हुए हिंसक नंदीग्राम आंदोलन का मुख्य चेहरा रहे शुभेंदु अधिकारी के गढ़ में सोमवार को जाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभा की है। वहां इस आंदोलन में लापता हुए लोगों के परिजन आखिरकार 15 साल बाद ममता को याद आए हैं और चुनाव से पहले उन्हें चार चार लाख रुपये का चेक थमाया है। दरअसल 2007 में तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने नंदीग्राम में उद्योग के नाम पर स्थानीय किसानों की जमीन का जबरदस्ती अधिग्रहण शुरू कर दिया था जिसके खिलाफ व्यापक आंदोलन हुआ था। इसके सूत्रधार शुभेंदु अधिकारी और उनका पूरा परिवार था। चुकी ममता बनर्जी विपक्ष की नेत्री थीं इसलिए उन्हें आंदोलन का चेहरा बनाया गया था। उस समय तत्कालीन वाममोर्चा की पुलिस और स्थानीय अपराधियों ने कथित तौर पर फायरिंग की थी जिसमें 14 गांव वाले मारे गए थे। इसके अलावा 10 लोग लापता हो गए थे जिनका शव आज तक नहीं मिला है। इसी आंदोलन के बाद पूरे राज्य में ममता बनर्जी के पक्ष में माहौल बना था जिसके बाद उन्हें 2011 में राज्य की सत्ता मिली थी। अब इस आंदोलन का मुख्य सूत्रधार रहे शुभेंदु अधिकारी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं और इस पूरे क्षेत्र में भाजपा तेजी से मजबूत होती जा रही है। अधिकारी का पूरा परिवार भाजपा के पक्ष में है और कयास लगाए जा रहे हैं कि इसकी वजह से ममता बनर्जी को अपनी सरकार गवानी पड़ सकती है। इसी के जवाब में ममता बनर्जी सोमवार को नंदीग्राम पहुची हैं। वहां जनसभा से पहले उन्होंने इस आंदोलन में लापता हुए 10 लोगों के परिवार को चार-चार लाक रुपये का चेक सौंपा है। विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी का यह दांव रुपये के जरिए लोगों को लुभाने की कोशिश मानी जा रही है। इस दौरान सीएम ने कहा कि नंदीग्राम पर वह किसी का ज्ञान नहीं लेंगी। उन्होंने स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वह हमेशा नंदीग्राम के लोगों के साथ रही हैं और आगे भी रहेंगी। इशारे इशारे में उन्होंने शुभेंदु अधिकारी पर भी कई प्रहार किया है। हालांकि इस आंदोलन के 14 साल बाद विधानसभा चुनाव से पहले लापता लोगों के परिजनों के प्रति ममता बनर्जी का यह प्रेम सवालों के घेरे में है।
