आज नंदीग्राम में ममता की सभा, टिकी निगाहें

लोक डेस्क, कोलकाता, 18 जनवरी। 33 सालों के वाममोर्चा शासन को उखाड़ फेंकने की राह सुनिश्चित करने वाली नंदीग्राम की भूमि पर आज ममता बनर्जी जनसभा करने वाली हैं। विधानसभा चुनाव से पहले सीएम की सभा बेहद खास है। इसकी वजह यह है कि यहां से हमेशा ही शुभेंदु अधिकारी का परिवार जीतता रहा है जो अब ममता का साथ छोड़कर भाजपा के पाले में चला गया है। इसके अलावा 2007 में जब तत्कालीन मोर्चा की सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए गांव वालों पर फायरिंग करवाई थी और 14 लोगों की मौत हुई थी उसके बाद यहां से व्यापक आंदोलन की शुरुआत हुई थी। ममता बनर्जी उस समय विपक्ष की नेत्री थीं, इसीलिए आंदोलन का नेतृत्व जरूर किया था लेकिन लोगों के विरोध प्रदर्शन और गुस्से को आंदोलन की शक्ल देने की पूरी रूपरेखा शुभेंदु अधिकारी और उनके परिवार ने बनाई थी। इसी की वजह से शुभेंदु यहां से लगातार जीतते भी रहे हैं। आंदोलन में लोगों की भीड़ जुटाने से लेकर रणनीति के तहत सरकार के खिलाफ हल्ला बोल का पूरा अभियान शुभेंदु अधिकारी और उनका परिवार बनाता था। इसी आंदोलन का नतीजा था कि 2009 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की सीटें वामो से अधिक हो गई थी और इस बात के भी संकेत मिल गए थे कि 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की सरकार बनेगी। वही हुआ भी। 2021 का विधानसभा चुनाव करीब है और अधिकारी भाजपा में चले गए हैं। उनके पूरे परिवार से तृणमूल ने दूरी बना ली है और पूरा अधिकारी परिवार ही नहीं बल्कि उनका समर्थक कुनबा भाजपा के खेमे में है। ऐसे में यहां ममता बनर्जी की सभा काफी मायने रखती है। सभा से वह क्या कुछ संदेश देती हैं, यह देखने वाली बात होगी। सूत्रों ने बताया है कि तृणमूल कांग्रेस ने यहां तेखली ब्रिज के पास होने वाली सभा में कम से कम तीन लाख लोगों की भीड़ एकत्रित करने का दावा किया है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा है कि ममता बनर्जी भले ही अपनी सभा में भीड़ एकत्रित करें और शक्ति प्रदर्शन की कोशिश करें लेकिन इस गढ़ में अधिकारी परिवार को छोड़कर किसी और की मजबूती संभव नहीं है। खास बात यह है कि ममता बनर्जी की सभा में शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिव्येंदु अधिकारी भी शामिल नहीं होंगे। दोनों ही सांसद हैं। इधर कोलकाता में ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र में शुभेंदु अधिकारी जनसभा कर अपना शक्ति प्रदर्शन करने वाले हैं। यानी कुल मिलाकर कहें तो बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले शुभेंदु और ममता के बीच शक्ति का प्रदर्शन शुरू हो गया है जो मतदान के समय मतदाताओं का मनोभाव तय करने में बड़ी भूमिका निभाने वाला है।

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