कोलकाता, 14 जनवरी। पश्चिम बंगाल में अगले 3 से 4 महीने के बाद विधानसभा का चुनाव होना है। भारतीय जनता पार्टी राज्य की सत्ता पर आरूढ़ होने का लक्ष्य लेकर चल रही है तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं। ऐसे में चुनाव से पहले राज्य के लोगों के बीच भविष्य की योजनाएं लेकर जाने के लिए घोषणा पत्र काफी महत्व रखते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद ही घोषणा पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी ली है। हालांकि उनके साथ पार्टी के अन्य नेता और रणनीतिकार भी शामिल हैं। लेकिन मुद्दे खुद मुख्यमंत्री तय कर रही हैं। तृणमूल सूत्रों ने बताया है कि इस बार घोषणापत्र में मूल रूप से भारतीय जनता पार्टी को ही मुख्य विपक्षी पार्टी मानकर रणनीति तय की जाएगी।
राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और बंगाली तथा गैर बंगाली की मानसिकता भी मुख्य है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेताओं का प्रभाव कम करने के लिए बाहरी तमगे का इस्तेमाल मुख्यमंत्री अपने घोषणापत्र में कर सकती हैं। इसके अलावा सूत्रों ने बताया है कि मूल रूप से तृणमूल कांग्रेस का लक्ष्य राज्य के युवा मतदाता हैं। उनके लिए रोजगार, शिक्षा के बेहतरीन विकल्प व अन्य कौशल विकास परियोजनाओं के बारे में घोषणा पत्र में विशेष तौर पर जिक्र किया जाएगा। साथ ही बच्चियों की शिक्षा के लिए कन्याश्री, शादी के लिए रूपश्री और महिला सशक्तिकरण के लिए ममता बनर्जी की सरकार द्वारा चलाई गई तमाम योजनाओं को आगे बढ़ाने का आश्वासन घोषणा पत्र में दिया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया है कि बीरभूम के देवचा पचामी में तैयार हो रहे कोयला खनन खदान में लाखों लोगों के लिए रोजगार सृजित करने का आश्वासन भी मुख्यमंत्री अपने घोषणापत्र में दे सकती हैं। साथ ही उत्तर 24 परगना में अशोकनगर में ऑयल एंड नेचुरल गैस लिमिटेड द्वारा शोध केंद्र के जरिए रोजगार सृजन का वादा भी किया जाएगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री के घोषणा पत्र में युवाओं तथा महिलाओं के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी कई बड़ी योजनाओं की घोषणा की जा सकती है। कुल मिलाकर कहें तो इस बार तृणमूल कांग्रेस अपने चुनावी घोषणा पत्र में युवाओं से लेकर महिलाओं तक और बुजुर्गों से लेकर हर एक स्तर के लोगों को लुभाने के लिए वादों की झड़ी लगाने जा रही है।